नई सुबह की आस मे भी ,
हर आम ओ ख़ास में भी,
अनुभव की गर्म रेत पर भी,
रिश्तों की नर्म घास में भी,
तल्खियों की सोच में भी,
प्यार के एहसास में भी,
सूखते फटते खेतों में भी,
चिड़ियों की प्यास में भी,
ज़िन्दगी तब भी जिंदा थी ....
ज़िन्दगी अब भी जिंदा है... ।
Wednesday, May 5, 2010
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...बहुत सुन्दर !!!
ReplyDeletekuch lafzon mein jindagi simat gayi..amazing!
ReplyDeleteउत्तम अभिव्यक्ति
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